Property News : (Supertech Group) के दिवालिया होने से शहर के 27 हजार बायर्स को भंवर में फंसने की संभावना है। इससे पहले भी आम्रपाली, जेपी इंफ्राटेक और यूनिटेक जैसी कंपनियों की दिवालिया होने से कुछ बायर्स प्रभावित हुए हैं। आम्रपाली के कुछ बायर्स को सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में राहत मिल रही है, जबकि जेपी इंफ्राटेक के बारे में सवाल है कि इनके अधूरे प्रॉजेक्ट कौन पूरे करेगा।
सुपरटेक के चेयरमैन आरके अरोड़ा ईडी की हिरासत में हैं, जिससे सुपरटेक के दिवालिया होने का खतरा मंडरा रहा है। इससे संबंधित 27 हजार होम बायर्स मुश्किल में हैं। अरोड़ा की हिरासत से सुपरटेक अपने कर्ज का भुगतान नहीं कर पा रहा है। अगर सुपरटेक दिवालिया हुआ तो रियल एस्टेट सेक्टर को बड़ा झटका लगेगा।
यूनिटेक की बात करें तो चार साल पहले कंपनी का बोर्ड भंग कर दिया गया था और नए बोर्ड को इसकी जिम्मेदारी दी गई थी। इसके बाद से चार साल का समय बीत गया है, लेकिन कंपनी की प्रोग्रेस जीरो है।
यदि सुपरटेक ग्रुप भी दिवालिया हो जाए, तो इससे घर खरीदने के लिए फंसे बायर्स को बहुत तकलीफ होगी। इससे पहले ही रियल एस्टेट कंपनियों जैसे आम्रपाली, जेपी इंफ्राटेक और यूनिटेक के दिवालिया होने से कुछ बायर्स प्रभावित हुए हैं।
सुपरटेक ग्रुप की दिवालिया से रियल एस्टेट के हालात ज्यादा गंभीर होंगे
सुपरटेक ग्रुप की दिवालिया के खतरे से रियल एस्टेट के हालात और भी गंभीर होने की संभावना है। रियल एस्टेट मार्केट पहले से ही वेंटिलेटर पर होने वाली स्थिति में है। यूनिटेक की तरह सुपरटेक भी दिवालिया हो जाने से रियल एस्टेट कंपनियों को बहुत नुकसान होगा। रियल एस्टेट मामलों के जानकार मनीष अग्रवाल ने बताया कि एक और झटके से सुपरटेक कंपनी दिवालिया हो सकती है जिससे सबसे ज्यादा संघर्ष बायर्स का ही बुरा हाल होगा। इससे फंड का नए सिरे से इंतजाम करना और पूरा करने की जिम्मेदारी किसकी होगी यह होने में लंबा समय लगेगा।
जेपी इंफ्राटेक के बारे में सवाल है कि इनके अधूरे प्रॉजेक्ट कौन पूरे करेगा?
जेपी इंफ्राटेक के बायर्स ने 2016 में अपनी लड़ाई शुरू की थी और यह मामला नैशनल कंपनी लॉ ट्रिब्युनल और सुप्रीम कोर्ट के बीच में कई सालों से चल रहा है। अंततः, 6 साल के बाद फाइनली तय हो पाया है कि सुरक्षा कंपनी जेपी इंफ्राटेक के अधूरे प्रॉजेक्टों को पूरा करेगी। लेकिन इसके लिए अभी भी रास्ता पूरी तरह साफ नहीं है। जेपी असोसिएट्स और यमुना अथॉरिटी ने अपनी-अपनी मांगों के मद्देनजर अभी इस मामले में आपत्ति लगा रखी है जिससे काम शुरू होने में अभी वक्त लगेगा।
यूनिटेक में 15 हजार बायर्स के फंसने से अधूरे प्रॉजेक्ट तक रुका काम
चार साल पहले 2019 में यूनिटेक के बोर्ड का बंग करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने नए बोर्ड का गठन करने के आदेश दिए थे। इस बीच 15 हजार बायर्स नोएडा-ग्रेनो में फंस गए हैं। एनसीआर से गुड़गांव व देश के दूसरे शहरों में भी लोग फंसे हुए हैं। लेकिन नए बोर्ड की प्रोग्रेस रिपोर्ट में बताया गया है कि अभी तक अधूरे प्रॉजेक्टों में काम नहीं हो पा रहा है।
बोर्ड ने संशोधित नक्शा तैयार किया है, लेकिन यह नक्शा अभी अथॉरिटी से पास नहीं हुआ है। इस मामले में बायर्स के साथ दो-चार मीटिंग हुई है जिसमें उनकी सहमति से अतिरिक्त फ्लैट बनाने के लिए टेंडर भी हुए हैं। लेकिन अतिरिक्त फंड और संशोधित नक्शा पास होने के बिना काम शुरू नहीं हो सकता है।
इस मामले में बायर्स को अतिरिक्त एफएआर मांगा जा रहा है। यूनिटेक के प्रोजेक्ट अधूरे रहने से लोगों को नुकसान हो रहा है, जो एक बड़ी समस्या है।
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